दमदार कहानी पर ढीली पकड़ Patna Shuklla Review

एक आम महिला, एक छात्रा और एक यूनिवर्सिटी में हो रही परीक्षा स्कैम में रोल नंबर के हेराफेरी की कहानी।

जो कई छात्रों के जीवन को प्रभावित करती है।

दरअसल, फिल्म का मेन सब्जेक्ट है रोल नंबर की हेराफेरी और परीक्षा के रिजल्ट में हुई धांधली।

जिसे बेहद ही सरलता से दर्शकों के सामने परोस दिया गया है।

उसमें ना कोई ड्रामा है, ना ही कोई नाटकीय मोड़ और ना ही कोई एक्शन।

लेकिन देखते देखते फिल्म बीच में इतनी ढीली हो जाती है कि नींद आने लगती है।

तन्वी शुक्ला के पटना शुक्ला बन जाने की क्रांति फील नहीं होती है।

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